Tum Jab Se Gaye Ho Mujhe Darr Lagne Laga Hai. रहीम के दोहे हिंदी अर्थ सहित He is like Tejasvi surya from BJP who represent Bangalore south. Itne Ghutne Teke Humne Aakhir Ghutna Toot Gaya. Numaish Par Badan Ki Yu Koi Taiyyar Kyu Hota, This may take decades until then you stay in detentions centers. Lekin Main Tere Ek Ishaare Pe Aa Gaya. Far from inspiring trust and confidence, these institution leaders invite ridicule from the students, the faculty and the staff. Kraanti kee baaten kar ke janta ko aur dukhi mat kijiye (Do not exploit the sentiments of the society by talking about yet another revolution when the first one was never ever attained). They are tired of the projects of righting the wrongs of Partition or the wrongs perpetrated by the Muslim rulers. The sudden and spontaneous eruption of the student community this week expressed this deeper frustration of aspirations as well. Kisi Bhi Seene Ko Kholo To Gham Nikalte Hai. रहीम दास जी के इस दोहे से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें हर चीज के महत्व को समझना चाहिए क्योंकि अलग-अलग चीजों का अपना अलग महत्व होता है उदाहरण के लिए जहां सुई का इस्तेमाल किया जाना है वहां तलवार क्या काम आएगी।, रहीम दास का दोहा 7- Rahim Ke Dohe class 7, आज के समय में कई लोग ऐसे हैं कि बुरा वक्त या फिर दुख का समय आने पर डिप्रेशन में चले जाते हैं या फिर जरूरत से ज्यादा पछाताव करते हैं। उन लोगों के लिए रहीम दास जी ने निम्नलिखित दोहों में बड़ी सीख दी है।, ”समय पाय फल होता हैं, समय पाय झरी जात। सदा रहे नहीं एक सी, का रहीम पछितात।”, हमेशा हर किसी की अवस्था एक जैसी नहीं रहती जैसे रहीम कहते हैं की सही समय आने पर वृक्ष पर फल लगते हैं और झड़ने का समय आने पर वह झड़ जाते हैं। वैसे ही दुःख के समय पछताना व्यर्थ हैं।, रहीम दास जी के इस दोहे से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए और इसका डटकर सामना करना चाहिए क्योंकि इंसान के जीवन में सुख और दुख दोनों समय आते हैं इसलिए इंसान को हर समय में एक जैसा रहना चाहिए।, अर्थात सुख आने पर ज्यादा खुश नहीं होना चाहिए और दुख की घड़ी में ज्यादा दुखी नहीं होना चाहिए।, रहीम दास का दोहा 8 – Rahim Ke Dohe class 8, रहीम दास जी ने इस दोहे के माध्यम से उन लोगों को सीख देने की कोशिश की है जो लोग दूसरे की मद्द नहीं करते या फिर जिनके अंदर दया करने की भावना ही नहीं होती है लेकिन सुंदर और बाहरी दिखावा के लिए अच्छा इंसान बनने की कोशिश करते हैं।, “वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग। बाँटन वारे को लगे, ज्यो मेहंदी को रंग।”, रहीमदास जी ने कहा की वे लोग धन्य हैं, जिनका शरीर हमेशा सबका उपकार करता हैं। जिस प्रकार मेहंदी बाटने वाले के शरीर पर भी उसका रंग लग जाता हैं। उसी तरह परोपकारी का शरीर भी सुशोभित रहता हैं।, एक अच्छा इंसान बनने के लिए रहीम दास जी के इस दोहे से जरूर सीख लेना चाहिए, दूसरो की मद्द करने से न सिर्फ भलाई मिलती है बल्कि परोपकारी और सज्जन पुरुष का शरीर और अधिक सुंदर और सुशोभित रहता है क्योंकि दूसरों की भलाई में ही खुद की भलाई छिपी रहती है।, रहीम दास का दोहा 9 – Rahim Ke Dohe class 9, आज के समय में कई ऐसे लोग हैं जो बिना सोचे-समझे व्यवहार करते हैं, जिसकी वजह से उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है ऐसे लोगों के लिए रहीम दास जी का यह दोहा बड़ा शिक्षाप्रद है।, “बिगरी बात बने नहीं, लाख करो कीं कोय। रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय।”, इन्सान को अपना व्यवहार सोच समझ कर करना चाहिेए, क्योंकि किसी भी कारण से अगर बात बिगड़ जाये तो उसे सही करना बहुत मुश्किल होता हैं जैसे एक बार दूध ख़राब हो गया तो कितनी भी कोशिश कर लो उसे मठ कर मख्खन नहीं निकाला जा सकता।, रहीम दास जी के इस दोहे से हमें यह सीख मिलती है कि हमें सभी से अच्छा व्यवहार करना चाहिए क्योंकि एक बार अगर हमारी छवि किसी के सामान बिगड़ जाती है तो उसे दोबारा से सही नहीं किया जा सकता है।, रहीम दास का दोहा 10 – Rahim Ke Dohe class 10, जहां ज्यादा प्यार होता है वहीं झगड़ा होना भी स्वभाविक है, लेकिन कई लोग ऐसे होते हैं कि छोटी सी बात को लेकर नाराजगी लिए बैठे रहते हैं। जिससे रिश्तों में दरार आ जाती है या फिर गुस्से की वजह से कई इंसान अपने प्रिय दोस्त या प्रिय सदस्य को खो देते हैं। रहीम दास जी ने ऐसे लोगों के लिए इस दोहे में बड़ी सीख दी है।, “रूठे सृजन मनाईये, जो रूठे सौ बार। रहिमन फिरि फिरि पोईए, टूटे मुक्ता हार।”, यदि माला टूट जाये तो उन मोतियों के धागे में पीरों लेना चाहिये वैसे आपका प्रिय व्यक्ति आपसे सौ बार भी रूठे तो उसे मना लेना चाहिए।, क्या सीख मिलती है – महान विचारक रहीम दास जी के इस दोहे से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा अपनों का ख्याल रखना चाहिए और अपने कभी रूठ भी जाते हैं तो उन्हें जल्द ही मना लेना चाहिए क्योंकि कभी-कभी छोटी सी बात को लेकर ही अपनों का साथ छूट जाता है।, रहीम दास का दोहा नंबर 11- Rahim Ke Dohe 11, जो लोग सहनशील नहीं होते और खुशी में ज्यादा उत्साहित और दुख के समय में दुखी रहते हैं, उन लोगों के लिए रहीम दास जी अपने इस दोहे में बड़ी सीख दी है।, “जैसी परे सो सही रहे, कही रहीम यह देह। धरती ही पर परत हैं, सित घाम औ मेह।”, रहीम कहते हैं की जैसे धरती पर सर्दी, गर्मी और वर्षा पड़ती तो वो उसे सहती हैं वैसे ही मानव शरीर को सुख दुःख सहना चाहिये।, रहीम दास के इस दोहे से हमें यह सीख मिलती है कि इंसान को सहनशील प्रवृत्ति का होना चाहिए क्योंकि जिन लोगों के अंदर सहनशक्ति नहीं होती है उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है इसलिए मानव शरीर को दुख-सुख दोनो एक तरह से सहना चाहिए।, रहीम दास का दोहा नंबर 12 – Rahim Ke Dohe 12, आज के जमाने में कई लोग ऐसे हैं जो अपने कटु वचनों से दूसरों का मन दुखाते हैं या फिर दूसरों की परवाह नहीं करते हैं, ऐसे लोगों के लिए रहीम दास जी ने अपने इस दोहे में बड़ी बात कही है।, “खीर सिर ते काटी के, मलियत लौंन लगाय। रहिमन करुए मुखन को, चाहिये यही सजाय।”, रहीमदस जी कहते हैं की खीरे के कड़वेपण को दूर करने के लिए उसके उपरी सिरे को काटने के बाद उस पर नमक लगाया जाता हैं। कड़वे शब्द बोलने वालो के लिये यही सजा ठीक हैं।, रहीम दास जी के इस दोहे से हमें यह सीख मिलती है कि हमें हमेशा मीठी और मधुर भाषा का ही इस्तेमाल करना चाहिए और हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि हम जो भी वचन बोल रहे हैं, उससे किसी का मन नहीं दुखे और किसी तरह का नुकसान नहीं हो। नहीं तो इसकी सजा भुगतनी पड़ सकती है ठीक उसी तरह जैसे खीरे के कड़वे भाग को काटकर उसमें नमक लगा दिया जाता है।, रहीम दास का दोहा नंबर 13 – Rahim Ke Dohe 13, जिन लोगों को अपने लोग ही धोखा देते हैं या फिर जिन लोगों को अपने घर के लोगों से ही प्यार नहीं मिलता उन लोगों के लिए रहीम दास जी ने अपने इस दोहे में बड़ी बात कही है।, “रहिमन अंसुवा नयन ढरि, जिय दुःख प्रगट करेड़, जाहि निकारौ गेह ते, कस न भेद कही देई।”, आंसू आंखों से बहकर मन का दुख प्रकट कर देते हैं, रहीमदास जी कहते हैं कि ये बिलकुल सत्य हैं की जिसे घर से निकाला जाएगा वह घर का भेद दूसरों को ही बताएगा।, रहीम दास जी के इस दोहे से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपनों की कदर करनी चाहिए और अपने प्रिय मित्रों और परिवार के लोगों की मद्द करनी चाहिए क्योंकि जो लोग अपनों की कदर नहीं करते हैं वे लोग दूसरों से अपनी बातें शेयर करते हैं और अपने घर का राज दूसरों को बता देते हैं।, रहीम दास का दोहा नंबर 14 – Rahim Ke Dohe 14, जो लोग यह सोचते हीं कि अपनी परेशानी किसी और से सांझा करने में दुख कम हो जाएगा या फिर किसी तरह का हल  निकल जाएगा खासकर ऐसे लोगों के लिए रहीमदास जी ने अपने इस दोहे में बड़ी सीख दी है।, “रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय। सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी लैहैं कोय।”, अपने मन के दुःख को मन के अंदर ही छिपा कर रखना चाहिये क्योंकि दूसरों का दुःख सुनकर लोग इठला भले ही लेते हैं लेकिन उसे बांट कर काम करने वाले बहु कम लोग होते हैं।, रहीमदास जी के इस दोहे से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपनी परेशानी का हल खुद ही ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि आज की दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग होते हैं तो किसी दूसरी की परेशानी को समझें।, रहीम दास का दोहा नंबर 15 – Rahim Ke Dohe 15, रहीम दास जी के इस दोहे में उन लोगों को बड़ी सीख देने की कोशिश की है जो लोग, अपने से छोटों की बदमाशियां करने पर उन्हें माफ नहीं करते और बड़े होकर भी बदमाशियां करना नहीं छोड़ते जिससे उन्हें कई बार भारी नुकसान उठाना पड़ता है।, “छिमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात। कह रहीम हरी का घट्यौ, जो भृगु मारी लात।”, उम्र से बड़े लोगों को क्षमा शोभा देती हैं, और छोटों को बदमाशी। मतलब छोटे बदमाशी करें तो कोई बात नहीं बड़ो ने छोटों को इस बात पर क्षमा कर देना चाहिये। अगर छोटे बदमाशी करते हैं तो उनकी मस्ती भी छोटी ही होती हैं। जैसे अगर छोटासा कीड़ा लात भी मारे तो उससे कोई नुकसान नहीं होता।, रहीम दास जी के इस दोहे से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने छोटों को हमेशा माफ करना चाहिए और उनकी गलतियों के लिए उन्हें प्यार से समझाना चाहिए और हमें हमेशा समझदारी से काम करना चाहिए।, आपने कबीर दास के दोहे भी रहीम के कहकर यहां पोस्ट किये हैं… और रहीम के कई दोहे अशुद्ध लिखे हैं.. कृपया कर इनके बारे में थोड़ी और जानकारी जुटाईये और पाठको को सही चीज उपलब्ध करवाईये… आपके अधकचरे ज्ञान से नवोदित पाठकवर्ग और छात्रों को भ्रमात्मक जानकारी मिलेगी।, अच्छा संकलन है परंतु दोहों का पाठ (Text) भ्रामक एवं अशुद्ध है। इसे थोड़े प्रयास से ठीक किया जा सकता है।, आपके द्वारा लिखे गए दोहों ने मुझे बहुत ही उत्साहित किया है इसके लिए आपका धन्यवाद.